किसान भाइयों के लिए आवश्यक जानकारी

गर्मियों में पशुओं में होने वाली बीमारी — टिम्पनिंग (Tympany) / अफ़रा

गर्मी के मौसम में गाय-भैंसों में “टिम्पनिंग” (Tympany) या “अफरा” नामक बीमारी के मामले तेजी से बढ़ते हैं। यह एक गैस से संबंधित पेट की बीमारी है, जिसमें पशु के पेट (विशेषकर जुगाली करने वाले पशुओं में) में अत्यधिक गैस भर जाती है और अगर समय पर इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकती है।

1. अफारा क्या है?

टिम्पनिंग या अफारा एक ऐसी स्थिति है जिसमें गाय या भैंस के पेट में गैस भर जाती है और वह बाहर नहीं निकल पाती। इससे पेट फूल जाता है और पशु को सांस लेने में तकलीफ होती है।

इस बीमारी के लक्षण:

  • बाएं तरफ़ पेट का असमान रूप से फूल जाना
  • बार-बार सांस लेना या हांफना
  • मुंह से झाग या लार गिरना
  • प्यास बढ़ जाना लेकिन पानी न पी पाना
  • बैठने या उठने में असमर्थता
  • बेचैनी, पूंछ हिलाना या ज़मीन पर लोटने की कोशिश करना
  • कभी-कभी अचानक मृत्यु भी हो सकती है (अगर समय पर इलाज न हो)

इस बीमारी से बचाव की सावधानियाँ:

  • भोजन का ध्यान रखें: सड़ा-गला या अत्यधिक हरा चारा न खिलाएं। चारा हमेशा ताज़ा और संतुलित मात्रा में दें।
  • भोजन के बाद पानी न पिलाएं: पशु को खाना खिलाने के तुरंत बाद अधिक मात्रा में पानी न पिलाएं।
  • नियमित व्यायाम: पशुओं को खुली जगह में छोड़ें ताकि वे टहल सकें और पाचन क्रिया सही हो।
  • धीरे-धीरे चारा परिवर्तन करें: एकदम से चारे में बदलाव न करें।
  • ठंडी छाया और हवा वाली जगह पर रखें: गर्मी में पशु तनाव में आ सकते हैं, जिससे पाचन गड़बड़ हो सकता है।

4. प्राथमिक उपचार (First Aid):

अगर अफ़रे के लक्षण दिखें तो:

  • पशु को खड़ा रखें या बाईं करवट न लेटने दें
  • पेट की हल्की मालिश करें
  • गुनगुना पानी + थोड़ा सा सरसों का तेल पिलाया जा सकता है (यदि पशु चिकित्सक की सलाह उपलब्ध न हो)
  • पशु को चलाने की कोशिश करें ताकि गैस बाहर निकले
  • सबसे ज़रूरी: तुरंत पशु चिकित्सक को बुलाएं। वे पेट से गैस निकालने के लिए ट्यूब या दवाइयों का उपयोग करेंगे।

हितकारी सेवा संस्थान की सलाह:

किसान भाइयों से अनुरोध है कि वे अपने पशुओं की दिनचर्या और भोजन पर विशेष ध्यान दें। गर्मी के इस मौसम में यह बीमारी आम हो गई है, लेकिन सावधानी और समय पर इलाज से इससे बचा जा सकता है।

अगर आपको इस संबंध में सहायता चाहिए तो आप हमारे पशु स्वास्थ्य शिविर से संपर्क कर सकते हैं या निकटतम पशु चिकित्सक से सलाह लें।

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